Friday, February 14, 2025

उम्रदराज व शरीर में घाव होने के कारण जंगली हाथी की हुई मृत्यु विधिवत् गड्ढा खोदकर शव का किया गया कफन-दफन

Must Read

रायगढ़। धरमजयगढ़ वनमंडल अंतर्गत छाल परिक्षेत्र के बेहरामार परिसर में वन्यप्राणी जंगली हाथी (मखना) के मृत्यु उम्रदराज होने एवं शरीर के विभिन्न स्थानों में घाव होने के कारण हुई है।
वनमंडलाधिकारी धरमजयगढ़ ने जानकारी देते हुए बताया कि एक नर हाथी (मखना) जिसकी उम्र लगभग 60 वर्ष थी, जो विगत दो माह से बीमार था। उक्त मखना हाथी के शरीर के विभिन्न स्थान जैसे कि चारो पैर, ऊपरी उदर के भाग, पुष्ट भाग में घाव थे, जिससे लगातार पस (मवाद) आ रहा था। उक्त मखना हाथी का उपचार वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश पर वन्यप्राणी चिकित्सकों के द्वारा 19 दिसम्बर 2024 को कोरबा वनमंडल के करतला वन परिक्षेत्र में किया गया था। उपचार उपरांत वन विभाग के द्वारा लगातार इसकी निगरानी किया जा रहा था एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार आवश्यक दवाईयां दी जा रही थी। उक्त हाथी 2 जनवरी को करतला वन परिक्षेत्र, कोरबा वनमंडल से छाल वन परिक्षेत्र, धरमजयगढ़ वनमंडल में प्रवेश किया था। छाल वन परिक्षेत्र में भी वन्यप्राणी चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार दवाईयां लगातार दी जा रही थी।
हाथी का हाथी ट्रेकरों, हाथी मित्र दल, क्षेत्रीय वन कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा लगातार निगरानी किया जा रहा था। जिससे उसके स्वास्थ्य में सुधार दिख रहा था, किन्तु कुछ दिनों के बाद से स्वास्थ्य में गिरावट दिखाई दिया। 29 एवं 30 जनवरी को मखना हाथी के गतिविधि में कमी देखी गई और वह दिन में लगभग 10-12 घंटे एक ही स्थान पर रह रहा था। वन विभाग के उच्चाधिकारियों एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की निर्देशानुसार उक्त हाथी का बेहतर उपचार करने में सहयोग लेने के लिए हाथी राहत एवं पुनर्वास केन्द्र रमकोला सुरजपुर जिला से 02 कुमकी हाथी 30 जनवरी  को लाया गया। तत्पश्चात वनमंडल में वन्यप्राणी चिकित्सकों की समिति के द्वारा कुमकी हाथियों की सहायता से उक्त हाथी का उपचार किया जा रहा था। उपचार के दौरान हाथी एक जगह बैठ गया और गहरी सांसे लेने लगा उसी दौरान वन्यप्राणी चिकित्सकों के द्वारा जांच उपरांत मखना हाथी को लगभग शाम 4 बजे मृत घोषित किया गया। शाम हो जाने के कारण शव विच्छेदन का कार्य संभव नहीं हो पाया। वन रक्षकों को शव का सुरक्षित देखरेख करने के लिए ड्यूटी लगाया गया। 01 फरवरी को सुरक्षित शव का जिला स्तरीय पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा वनमंडलाधिकारी, उप वनमंडलाधिकारी धरमजयगढ़, वनपरिक्षेत्र अधिकारी छाल एवं वनअमलों की उपस्थिति में सुबह 9 बजे शव विच्छेदन कर आवश्यक अंगों का जांच के लिए विसरा लिया गया। शव विच्छेदन पश्चात मखना हाथी उम्रदराज होने एवं शरीर के विभिन्न भागों में गंभीर घाव होने के कारण मृत होना पाया गया। तत्पश्चात विधिवत् गड्ढा खोदकर शव का कफन-दफन किया गया। प्रकरण में अग्रिम कार्यवाही की जा रही है। वनमंडल धरमजयगढ़ हाथी प्रभावित क्षेत्र है, जिसके लिए हाथियों का लगातार ट्रेकिंग एवं निगरानी किया जा रहा है।

Latest News

रायपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय छात्र संघ के पदाधिकारियों ने ली पद व संन्निष्ठा की शपथ

रायपुर । इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि महाविद्यालय रायपुर के छात्र संघ का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न...

More Articles Like This