Saturday, May 24, 2025

एसईसीएल की प्रस्तावित दुर्गापुर खुली खदान निरस्त करने कोयला मंत्री को लिखा पत्र सामाजिक कार्यकर्ता दीपक मंडल ने मुख्यमंत्री साय, एसईसीएल के प्रबंध निदेशक कोलकाता, सह प्रबंध निदेशक बिलासपुर को भी भेजी चिठ्ठी

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रायगढ़। 15 वर्ष पहले भारत सरकार के द्वारा एसईसीएल को आबंटित दुर्गापुर खुली खदान परियोजना अब तक शुरू नहीं हो पाया है।अब इस खदान का आबंटन निरस्त करने की मांग उठ रही है। इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार दीपक मंडल ने भारत सरकार के कोयला मंत्री गंगापुरम कृष्ण रेड्डी को पत्र लिखकर जनहित को ध्यान में रखकर खदान को निरस्त करने की मांग की है। प्रभावित क्षेत्र के किसान और सामाजिक कार्यकर्ता दीपक मंडल ने उक्त संदर्भ में ध्यान आकर्षण के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, एसईसीएल के प्रबंध निदेशक कोलकाता पी एम प्रसाद, सह प्रबंध निदेशक बिलासपुर हरीश दुहन को भी चिठ्ठी भेज कर विषय बिंदु से अवगत कराया है।
दीपक मंडल द्वारा कोयला मंत्री को भेजे गए पत्र में बताया है कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ तहसील, जहां कोयले के अपार भंडार को देखते हुए भारत सरकार कोल मंत्रालय विभाग द्वारा एसईसीएल  को लगभग 4400 एकड़ भूमि पर दुर्गापुर खुली खदान के नाम से कोयला खनन करने के लिए 2009-10 में कोयला खदान आबंटित किया गया है। जिसमें दुर्गापुर, शाहपुर, धरमजयगढ़ कॉलोनी, धरमजयगढ़ नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 1,2,3 तराइमार और बायसी तथा बायसी कॉलोनी की कृषि राजस्व की और वन भूमि शामिल है। मगर कोयला खदान आबंटन होने के 15 वर्ष पूर्ण होने उपरांत भी आज पर्यंत तक उक्त खदान को प्रारंभ करने के दिशा में एसईसीएल बिलासपुर डिविजनध् एसईसीएल प्रबंधन रायगढ़ छत्तीसगढ़ के द्वारा कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जा रहा है।  जानकारी के मुताबिक एसईसीएल के द्वारा 5 फरवरी 2014 को धारा 4 का प्रकाशन हुआ। इसके बाद 23 फरवरी 2016 को कोल धारक क्षेत्र अर्जन और विकास 1957 की धारा 11 के तहत 23 फरवरी 2016 को अर्जन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। मगर इस परियोजना में अब तक न तो किसानों का मुआवजा निर्धारण किया गया है। न ही परियोजना क्षेत्र के प्रभावित किसान और भूस्वामियों के चल अचल संपत्तियों का सर्वेक्षण कराया गया है। उक्त क्षेत्र में कोयला खदान प्रस्तावित होने से पिछले 15 वर्षों से किसान और प्रभावित होने वाले भू स्वामी उचित मुआवजा की मांग को लेकर आंदोलित हैं।
इस क्षेत्र के 10 गांव का जनजीवन पूरी तरह प्रभावित है। उक्त क्षेत्र में कोयला खदान प्रस्तावित होने के कारण क्षेत्र के लोग केंद्र व राज्य सरकार के अनेक जन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। जो क्षेत्र के  हजारों लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन है।
छत्तीसगढ़ में लागू आदर्श पुनर्वास नीति में विगत 15 वर्षों से कोई संशोधन नहीं हुआ है तथा कोल इंडिया लिमिटेड पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना नीति में भी 2012 के बाद जनहित में कोई संशोधन या बदलाव नहीं किया गया। इस कारण प्रभावित क्षेत्र के मुआवजा निर्धारण में भारी विसंगति और भूमि का बाजार मूल्य का आकलन भी बहुत कम है। इसलिए क्षेत्र के लोग दोनों नीतियों में संशोधन करने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में लागू पुनर्वास नीति विसंगति पूर्ण है तथा जन लाभकारी व प्रभावशाली नहीं है। एसईसीएल के स्थानीय अधिकारी कर्मचारी इस परियोजना क्षेत्र के जनमानस और जन समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है। और समस्याओं का समाधान नहीं चाहते है। किसान और प्रभावित नगरिकों के मांग और समस्याओं के निदान करने और इस परियोजना को शुरू करने की दिशा में स्थानीय व जिला प्रशासन तथा राज्य सरकार द्वारा पिछले कई वर्षों से कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं किया गया है।    जिससे स्पष्ट होता है कि एसईसीएल प्रबंधन दुर्गापुर खुली खदान परियोजना को प्रारंभ ही नहीं करना चाहती है। इसलिए भारत सरकार द्वारा आबंटित दुर्गापुर खुली खदान परियोजना विधिवत निरस्त करने की कार्यवाही किया जाना जनहित में होगा। उक्त परियोजना निरस्त होने से परियोजना क्षेत्र के किसान अपने निजी व कृषि भूमि पर शासन के अन्य योजनाओं का लाभ ले सकेंगे। तथा उक्त क्षेत्र में लघु उद्योग तथा व्यवसायिक प्रयोजन हेतु भूमि का उपयोग कर सकेंगे। जिससे राज्य और केंद्र सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। उक्त संदर्भ में सामाजिक कार्यकर्ता दीपक मंडल ने 26 अप्रैल  को ईमेल के माध्यम से समस्त जानकारी कोल मंत्रालय भारत सरकार को भेजा था अब पत्र भेज कर भी कोयला मंत्री सहित संबंधित विभाग और प्रदेश की मुख्यमंत्री को भी इस गंभीर विषय से अवगत कराया है। अब देखना यह होगा कि कोल मंत्रालय तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री इस गंभीर विषय पर क्या कार्यवाही करते हैं।

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