रायगढ़। जिला मुख्यालय में स्थित तनिष्क ज्वेलर्स में बीते 19 फरवरी को तनिष्क ज्वेलर्स के मैनेजर से दिनदहाड़े चार लाख रूपये से अधिक की सोने की चैन लूट कर फरार होने वाले शहर के नामचीन धन्नासेठ व होटल संचालक के बेटे का नाम सामने आने के बाद से अब तक पुलिस व तनिष्क ज्वेलर्स के संचालक के बीच की रजामंदी अंदर ही अंदर चर्चा में है।
इस पूरे मामले में सबसे गंभीर पहलू यह है कि बड़े लोगों की संलिप्तता होनें के बाद से पुलिस को सांप सूंघ जाता है वहीं लूट जैसे गंभीर अपराध में तनिष्क ज्वेलर्स के संचालक को दी जाने वाली राशि के बाद आरोपी युवक क्षितिज अग्रवाल की चर्चा भी नही हो रही है जबकि इसके उपर घटना दिनांक से ही सोने की चैन लूटकर फरार होनें का मामला दर्ज है उसके बाद से हमने पहले ही इस मामले में तनिष्क ज्वेलर्स में हुई पूरी घटना के सीसीटीवी फुटेज न तो पुलिस को दिये गए और न ही पुलिस ने मीडिया को भेजे जिसके कारण इस बात पर इशारा साफ जाहिर है कि बडे लोगों के नाम गंभीर केश में आने से पुलिस के हाथ पैर फुल जाते हैं और जिनके साथ घटना घटती है वो भी धन्ना सेठों की मिली भगत में शामिल होकर पूरे मामले को दबाने में लग जाते हैं।
बीते 19 फरवरी को हुई घटना के मामले में भी ऐसा कुछ हुआ जबकि आरोपी क्षितिज अग्रवाल के उपर गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज हो जाती है लेकिन बडे होटल संचालक की बड़ी पहुंच होनें के कारण क्षितिज अग्रवाल पर 8 दिन बीत जाने के बाद भी क्या कार्रवाई हुई और वह पुलिस की गिरफ्त में आया कि नही आया और अगर उसे गिरफ्तार किया गया तो पूरी जानकारी मीडिया से क्यों छुपाई रखी। साथ ही साथ घटना के मामले में तनिष्क ज्वेलर्स के कर्मचारी व मालिक द्वारा इस घटना की रिपोर्ट लिखाने के बाद खमोशी क्यों साध ली ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब शहर की जनता चाहती है। जवाब इसलिये चूंकि हर छोटे बड़े मामले में पुलिस घटना से लेकर घटना के आरोपी को पकड़ने तक अपनी वाह वाही लूटने के लिये सीसीटीवी फुटेज आरोपी के नाम, धारा जारी करती है और क्षितिज अग्रवाल के नाम पर बडे होटल संचालक का नाम शामिल होनें से यह मामला शुरू से ही रफा दफा कर दिया गया।
इस पूरी घटना को एक मजेदार पहलू यह भी है कि तनिष्क ज्वेलर्स देश की जानी मानी ब्रांड है और हाल ही में ढिमरापुर रोड स्थित अंबिकापुर के गर्ग द्वारा यहां इसे खोला गया है और सुविधाओं के साथ-साथ किसी भी घटना को तीसरे आंख में कैद करने के लिये दर्जनो कैमरे भी लगाये गए हैं इतना ही नही सुरक्षा के चाक चैबंद व्यवस्था भी दुरूस्त है इसके बाद भी नाम गिरामी होटल संचालक के बेटे क्षितिज अग्रवाल यहां आते है और बड़े आराम से सोने की चैन का सौदा करते हैं और पैसा गाड़ी में रखा है करके बाहर निकलते हैं और फरार हो जाते हैं। यह घटना किसी फिल्मी स्टाईल से अगर जोड़े तो बिल्कुल सटीक बैठती है, घटना के बाद एफआईआर दर्ज होती है, क्षितिज अग्रवाल फरार हो जाते है और 8 दिन बाद शहर के कोतवाल इसका जवाब नही दे पाते कि आखिरकार इस मामले में खमोशी के पीछे सेठों का कितना बड़ा दबाव है।
बहरहाल देखना यह है कि क्षितिज अग्रवाल जैसे कई उदाहरण केवल पुलिस बडे लोगों से ही क्यों जोड़कर सामने लाती है जबकि अपराधी के साथ जैसा बर्ताव होना चाहिए वैसा करने में आखिरकार इनकी कौन सी मजबूरी होती है।
तनिष्क ज्वेलर्स में हुई लूट मामले में क्या हो गई लीपापोती बड़े शहर की बड़ी बात, जिस पर चर्चा जरूरी
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