गुरु गोविंद दोहू खड़े काकू लगे पाए
बलिहारी गुरु आपने गोविंद देव बताए”
यह दोहा नहीं हमारे भारतीय समाज की सच्चाई है की गुरु का मान इज्जत मां-बाप से बढ़कर होती है गुरु ही समाज को सही दिशा दिखाता है छोटे-छोटे बच्चों को एक जिम्मेदार और समाज के प्रति दयावान एवं संवेदनशील बनता है पर अगर एक शिक्षक स्वयं ही बच्चों के आर्थिक स्थिति को ना देखते हुए जिस पर बच्चों का कोई दोष नहीं है क्योंकि बच्चे स्वयं अपनी फीस नहीं पटाते उनके मां-बाप पटाते हैं तो आपको अगर सजा देनी है तो उनके मां-बाप को दीजिए बच्चों को अपनी क्लास से बाहर मत निकालिए उनके मुंह आपकी फीस नहीं पटी है तुम क्लास मत आन बोलना क्या टीचर को पचवी के बच्चे को बोलना उचित यह एक बच्चे के मान के अंदर परिवार के प्रति घृणा पैदा कर देगी
पीके अग्रवाल जो की एक ट्यूशन टीचर हैं कैदी मुंडा में उन्होंने एक बच्चे को अपनी ट्यूशन क्लास से सिर्फ इसलिए निकाल दिया कि तुम्हारे 3 महीने की फीस 1500 नहीं पट्टी है इसलिए तुम क्लास मत आना यह एक गुरु को क्या शोभा देता है
वह भी तब जब वह पांचवी का बच्चा बोर्ड एग्जाम के तैयारी के अंतिम चरण पर था अंतिम चरण पर साथ छोड़कर चंद पैसों के कारण एक छात्र का हाथ अंतिम समय पर छोड़ देना क्या यह जायज है परिवार के सदस्यों के द्वारा यह कहने के बावजूद किस कर हमारे माली स्थिति अभी ठीक नहीं है लेकिन हम आपका एक एक पेसा एग्जाम से पहले चुका देग उसके बावजूद इस लालची कलयुगी गुरु ने अपने छात्र को उसके साथ पढने सहपाठियों के बीच निकाल दिया इस कलयुगी गुरु को यह भी नहीं लगा की एक पांचवी में पढ़ने वाला बालक खुद में इतनी हीन भावना में ग्रस्त होकर रह जाएगा
जब इस पीके अग्रवाल से हमने बात करने की कोशिश की आपने एक लड़के वंश ठाकुर को क्यों निकाला तो आप इनका रवैया सुनिए और इनका अहंकार इनके बात करने का तरिका सुने ये व्यक्ति गुरु बन के बैठे हैं ओर इन्हें परीक्षा की जानकारी भी नहीं
एसे लालची एवं लोभी एवं अहंकारी लोगो के पास न खुद जाए और बच्चों को बेजे न उनका भविष्य खराब करे बार-बार फोन लगाने के बाद न सुयम उत्तर न दे सक्ते वो वो आपके बच्चों को क्या अच्छी शिक्षा दे सकता है