Saturday, March 15, 2025

जातिगत विद्वेष की मार झेल रहा फौजी का परिवार

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रायगढ़। रायगढ़ जिले के सराईपाली गांव से एक गंभीर मामला सामने आया है। देश की सेवा में तैनात एक फौजी का परिवार जातिगत भेदभाव, सामाजिक प्रताड़ना और प्रशासनिक पक्षपात का शिकार हो रहा है। सराईपाली गांव में हरिजन समाज से ताल्लुक रखने वाले प्रधान आरक्षक बैसाखू चैहान की पत्नी बिंदु चैहान ने पांच पेज में दस बिंदुओं पर अपने परिवार की पीड़ा व्यक्त करते हुए राज्य के वित्त मंत्री एवं रायगढ़ विधायक ओपी चैधरी को न्याय की गुहार लगाई है।
फौजी की पत्नी ने शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि सराईपाली गांव, जो जातिगत भेदभाव की गहरी समस्या से जूझ रहा है, हरिजन परिवारों को सवर्ण समुदाय के लोगों द्वारा वर्षों से प्रताड़ित किया जा रहा है। गाँव में कुछ वर्ष पहले सवर्णों के खिलाफ जातिगत दुर्व्यवहार और छुआ छुत की घटना कारीत करने के कारण गांव के पीड़ित हरिजन समाज के द्वारा वर्ष  16 फरवरी 2000 को थाना पुसौर में 12 मार्च 2000 को तत्कालीन कैबिनेट मंत्री छग शासन कृष्ण कुमार गुप्ता उच्च शिक्षा मंत्री, जन शक्ति नियोजन एमपी शासन 13 अपै्रल 2000 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसपी रायगढ़ , 09 नवंबर 2000 को पुलिस अधीक्षक जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ छुआ छूत के संबंध में शिकायत किया था। जिसके बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक   के निर्देश पर जांच उपरांत दोषी पाए गए सवर्ण जाति के ठंडा गुप्ता, सत्यवादी प्रधान, भीमो कोलता, लेकरू प्रधान, इन्द्रजीत गुप्ता पर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए इन सब सवर्णों को जेल भेज दिया गया था। यद्यपि इस कार्यवाही के बाद भी  इन सवर्णों के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं  आया। बल्कि इन सवर्णों की जातिवादी दुर्भावना और अधिक विद्वेष बढ़ गई । जिसके बाद 09 नवंबर 2012 को शुक्रवार सायं 19रू30चउ गांव के सवर्णों दशरथ कोलता, अरुण पोबिया, उसत राम कोलता, सन्यासी यादव, बिदुर पोबियां, रामपाल पोबीय के द्वारा जातिगत गाली गलौच करते हुए रघुनाथ चैहान , मधुराम चैहान और कृष्णलाल चैहान को जान से मारने की कोशिश की। इस घटना की पृथक एफआईआर थाने में दर्ज है। इस तरह उनका विद्वेष और बढ़ता गया तथा गांव में भेदभाव और दुर्भावना कम नहीं हुई। आज भी, गाँव के सवर्ण जाति के लोगो के द्वारा हम हरिजन गांडा जाति के लोगो को छुआऋछूत एवं घृणा भाव से देखते है तथा उनके दुर्ब्याबहार, गाली-गलौज और धमकियों का सामना करना पड़ता है।
यह घटना न केवल सामाजिक विषमताओं को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता और पक्षपात पर भी सवाल खड़ा करती है। एक फौजी, जो अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सुरक्षा कर रहा है, उसका परिवार यदि खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है, तो यह समाज और प्रशासन के लिए शर्मनाक है।
पीड़िता ने पुसौर थाने, तहसील व जिला कलेक्टर सहित प्रदेश के वित्त मंत्री के समक्ष दस बिंदुओं पर लिखित निवेदन प्रस्तुत कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है तथा परिवार को सुरक्षा प्रदान करने, झूठी शिकायतें और प्रशासनिक पक्षपात को रोकने और सरकारी भूमि पर निवास कर रहे सभी परिवारों के साथ समान व्यवहार करने की गुहार लगाई है।

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