रायपुर : शराब घोटाले में 11 आबकारी अधिकारियों ने 88 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमीशनखोरी की. वसूली की रकम से प्रदेशभर के विभिन्न जिलों में स्वयं और परिजनों के साथ ही बेनामी चल-अचल संपत्ति खरीदी. वहीं, कारोबारी में निवेश एवं बेहिसाब खर्च किया. 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में पेश किए गए चालान में ईओडब्ल्यू ने इसका खुलासा किया है. हम आपको 31 अधिकारियों को इस कमीशन का कितना हिस्सा मिला इसकी जानकारी दे रहे है.
भूपेश की कांग्रेस सरकार के समयकाल शराब घोटाला आबकारी अधिकारियों ने जमकर लूटा, छत्तीसगढ़ियों का पशीने का पैसा लूट का संपत्ति अपने रिश्तेदारों के नाम पर ख़रीदी किसी ने अपनी काली कमाई को छुपाने के लिए बड़े बड़े कम्पनियों के डिबेंचर और बॉन्ड शेयर लिए हद तो तब हो गई कवासी लखमा अवैध शराब के पैसे से कांग्रेस भवन का निर्माण कर दिया जिसको बाद में जाँच के उपरांत ज़ब्त कर सील किया गया शराब की काली कमाई का पूरा महकमा सक्रिय तौर पर भूपेश सरकार के ऊपर हावी था रायपुर से लेकर दिल्ली तक सभी जगह पैसा पहुँचाने का कार्य भी राज्य को दिया गया था छत्तीसगढ़ में करोना काल में शराब की बिक्री को दोगुना बढ़ाना ये सोची समझी रणनीति के तहत किया गया था इसी दौरान भ्रष्टाचारी कांग्रेस सरकार ने इन सभी भ्रष्ट अधिकारी के साथ मिलकर सबसे बड़े शराब घोटाले को अंजाम दिया.
चार्जशीट के अनुसार, नवीन प्रताप सिंह तोमर ने रायपुर और बलौदाबाजार में सबसे ज्यादा 39 खसरों और 3 रजिस्ट्रियों में जमीन खरीदी. वह स्वयं और इंदिरा देवहारी के नाम पर हैं. मंजूश्री कसेर ने रायपुर, जांजगीर और गरियाबंद में 25 प्रॉपर्टी रिश्तेदारों एवं परिचितों के नाम पर खरीदी. नोहरसिंह ठाकुर ने रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव में कुल 5 प्रॉपर्टी खरीदीं, जिनमें करुणा सुधाकर, लवकुश नायक और विजयलाल जाटवर जैसे नाम सामने आए हैं. प्रमोद नेताम ने कोरिया, कोरबा और रायपुर में 6 प्रॉपर्टी खरीदी, जो उनके और परिजनों के नाम पर हैं.
इकबाल अहमद खान, दिनकर वासनिक, मोहित जायसवाल, विजय सेन शर्मा, नीतिन खंडूजा और अरविंद पटले जैसे अफसरों ने भी अलग-अलग जिलों में संपत्तियां खरीदीं, जिनके दस्तावेजी साक्क्ष्य जब्त किए गए हैं. वहीं, काली कमाई को छिपाने के लिए दिनकर वासनिक ने आईओसी शेयर में निवेश किया.