Tuesday, July 1, 2025

थानेदारों के पीछे आरएसएस व भाजपा नेताओं का बड़ा सपोर्ट पुलिस के बड़े अधिकारी भी देख रहे हैं तमाशा

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रायगढ़।  रायगढ़ जिले में इन दिनों जिले के अलग-अलग थानों में पदस्थ कुछ थाना प्रभारियों की राजनीति चर्चा का विषय बनी हुई है। स्थिति यह है कि थाना प्रभारी अपने पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिनस्थ बड़े अधिकारियों के आदेश को दरकिनार करते हुए अपनी ही राजनीति करते हुए नेताओं के हाथों की कठपुथली बन गए हैं और यही कारण है कि अब पुलिस अधीक्षक जिनको हाथो से हटाते है तो वे भाजपा नेताओं की शरण में जाते हैं कुछ थाना प्रभारी आरएसएस का सहारा लेते हैं तो कुछ राजनीतिक पकड के चलते थानो में अवैध उगाही का अड्डा बनाते हुए अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। जनता के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि कांगे्रस शासन में तो थानेदार पैसा देकर पोस्टिंग करवाते थे और अब नेताओं को खुश करके पोस्टिंग पाने के लिये बकायदा लामबंदी हो रही है। ताजा उदाहरण पहले तमनार का था और अब घरघोड़ा का हो गया है।
जानकार सूत्र बताते हैं कि रायगढ़ जिले में कुछ दिन पहले पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल ने चक्रधर नगर, जूटमिल, तमनार, खरसिया सहित कुछ अन्य थाना प्रभारियों की लिस्ट निकालकर कुछ थाना प्रभारियों को अलग-अलग जगह पोस्टिंग के आदेश जारी किये थे। यहां यह बताना लाजमी होगा कि पुलिस अधीक्षक का यह अपना तरीका होता है कि वे साल दो साल में थाना प्रभारियों को इधर से उधर करके उनकी कार्यो में तेजी के साथ-साथ और अधिक कसावट आये और इसके अलावा जो लंबे समय से थाने में पदस्थ रहते हैं उनकी भी गलत फहमी दूर करने के लिये एसपी का आदेश काफी होता है।
हाल ही में जो लिस्ट निकली थी उसमें मात्र पांच दिन के भीतर तमनार थाना प्रभारी ने बकायदा ताल ठोकते हुए पुलिस अधीक्षक को मजबूर कर दिया कि वे तमनार के अलावा उन्हें कहीं और पदस्थ न करें और हुआ भी यही कि आखिरकार थाना बदलने के बाद भी तमनार थाना प्रभारी कथित तौर पर आरएसएस का सहारा लेते हुए वापस तमनार में ही पदस्थ होनें में कामयाब हो गए। चर्चा यह है कि तमनार थाना प्रभारी पुलिस अधीक्षक के हर आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं चूंकि उन्हें इस बात का गुरूर है कि उन्हें आरएसएस संस्था से विशेष सहयोग मिलता है। इतना ही नही अपनी कार्यशैली के लिये चर्चित थाना प्रभारी अब तमनार छोड़ना ही नही चाहते।
अब दो दिन पहले ही लेनदेन व अवैध उगाही की शिकायत पर लाइन अटैच हुए घरघोडा थाना प्रभारी हर्षवर्धन सिंह के लिये भी भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा की जा रही लामबंदी इस बात के संकेत है कि घरघोड़ा में भाजपा के सहयोग से रेत तस्करी, कोयला तस्करी के अलावा अवैध लेनदेन के कई मामले सामने आते रहते हैं जिनमें कुछ भाजपा नेता खुलकर साथ देते हैं और ऐसे में अचानक बिलासपुर संभाग के महानिरीक्षक संजीव शुक्ला के निर्देश पर जिला पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल ने घरघोड़ा थाना प्रभारी सहित दो सिपाहियों को हटाया तो भूचाल सा आ गया है। लाइन अटैच के बावजूद भी 24 घंटे तक थाने में ही जमे रहकर कुछ लोगों के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज करके अपनी ताकत दिखाना यह बताता है कि अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का थाना प्रभारी कितना लिहाज करते हैं।
बहरहाल अब देखना यह है कि एक के बाद एक सामने आते इस प्रकार के मामलों से निपटने के लिये वरिष्ठ पुलिस अधिकारी क्या कदम उठाते है। चंूकि बढ़ते राजनीतिक संरक्षण से न केवल पुलिसिंग खराब हो रही है बल्कि जनता के बीच भी गलत संदेश जा रहा है।

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