Shravan 2025: सनातन परंपरा में भगवान शिव एक ऐसे देवता हैं जो सबसे जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा आशीर्वाद बरसाते हैं. शिव की कृपा और उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्रावण मास को सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी माना गया है. भगवान शिव के बारे में मान्यता है कि वो अपने भक्तों को आशीर्वाद देते समय किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते हैं. पौराणिक कथाएं इस बात की साक्षी हैं कि उन्होंने देवताओं और दैत्यों की तपस्या से प्रसन्न होकर उन पर सामान रूप से कृपा बरसाई है. यही कारण है कि पावन श्रावण मास के लगते ही तमाम शिवालयों में देवों के देव महादेव का रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक आदि करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटने लगती है. यदि आप भी श्रावण मास में औघड़दानी भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करके मनचाहा वरदान पाना चाहते हैं तो आपको कुछेक बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए.
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श्रावण में कब करें शिव पूजन
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव की साधना-आराधना, सुमिरन आदि आप कभी भी कर सकते हैं लेकिन यदि आप उनकी श्रावण में विशेष पूजा करके उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो जान लीजिए सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि का दिन शिव पूजन के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है. इसी प्रकार शिव की विशेष पूजा के लिए प्रदोषकाल को अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है. मान्यता है कि प्रदोष काल के समय भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक, पूजन एवं उनके मंत्र जाप का अक्षय पुण्यफल प्राप्त होता है. ऐसे में आप पूरे श्रावण मास में प्रात:काल के अलावा इस शुभ समय में भी शिव की साधना करके अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं.
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शिव पूजा की सबसे सरल विधि
श्रावण मास में शिव पूजा (Shiv Puja) के लिए तन-मन से पवित्र होकर स्वच्छ कपड़े धारण करें. कभी भूलकर भी पहने हुए कपड़े या फिर काले वस्त्र पहनकर शिव पूजा न करें. शिव पूजा हमेशा पूर्व अथवा उत्तर मुख करके आसन पर बैठकर ही करें. देवों के देव महादेव की पूजा विधि तमाम तरीके से विस्तृत रूप से की जा सकती है लेकिन यदि सरल-सहज तरीके से उनकी पूजा करना चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले पवित्र गंगा जल अथवा शुद्ध जल चढ़ाएं. इसके साथ आप यदि आप के पास अपनी सुविधा के अनुसार उन्हें दूध, दही, घी, पुष्प, बेलपत्र, शमीपत्र धतूरा, भांग, चंदन, भस्म, वस्त्र, आदि अर्पित कर सकते हैं. इसके पश्चात् देवों के देव महादेव सात्विक चीजों का भोग जैसे फल, मिष्ठान आदि लगाएं और उनका ध्यान करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का मन में जाप करें. अंत में पूरे श्रद्धा भाव से भगवान शंकर की आरती करें और अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.
शिव पूजा से जुड़ी 7 जरूरी बातें
1. शिव पूजा का शुभ फल पाने के लिए सबसे आवश्यक है कि आप उनकी पूजा हमेशा तन-मन से पवित्र होकर शांत मन से करें. शिव पूजा के दौरान क्रोध बिल्कुल न करें.
2. यदि श्रावण मास में महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शिव पूजा के लिए हमेशा अपने घर के ईशान कोण, पूर्व या फिर उत्तर दिशा का चयन करें तथा इस स्थान को हमेशा स्वच्छ और पवित्र बनाए रखें.
3. यदि आप गृहस्थ हैं और जीवन के सभी रोग, शोक, दोष आदि को दूर करने वाली शिव साधना श्रावण मास में करने जा रहे हैं तो आपको शिव परिवार का चित्र लगाकर प्रतिदिन श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन करना चाहिए.
4. यदि आप भगवान शंकर की मूर्ति की बजाय शिवलिंग की पूजा करना चाहते हैं तो आप नर्मदेश्वर अथवा पारद शिवलिंग की विशेष पूजा करके उनका आशीर्वाद पा सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि जिस प्रकार भगवान राम के साथ हनुमान जी की पूजा का महत्व है, उसी प्रकार देवों देव महादेव के साथ नंदी की पूजा अत्यंत आवश्यक है.
5. श्रावण मास में महादेव को मनाने के लिए जपे जाने वाले मंत्रों का जप हमेशा एक निश्चित समय और स्थान पर करें. शिव मंत्रों का जाप हमेशा रुद्राक्ष की माला से करें तथा जप माला को कभी भी धारण न करें. शिव मंत्रों का जप हमेशा आसन पर बैठकर करें.
6. भगवान शिव ऐसे देवता हैं जो सिर्फ एक शमी अथवा बेलपत्र चढ़ाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन पूजा के दौरान इनका प्रयोग करते समय सावधानी रखें. कभी भूल से भी कटे-फटे बेलपत्र महादेव को न अर्पित करें. बेलपत्र और शमीपत्र को उल्टा चढ़ाएं तथा उसके पीछे का भाग जिसे वज्र कहते हैं उसकी डंठल को निकाल कर ही शिव को अर्पित करें.
7. भगवान शिव की पूजा में हल्दी, तुलसी, शंख, चंपा और केतकी के फूल का प्रयोग कभी भूलकर भी न करें.