बीते नगरीय निकाय चुनाव में 26 पार्षदों वाली कांग्रेस को इस बार 12 में ही संतोष करना पड़ा है। ये 12 पार्षद भी जो जीते हैं वो अपने दम पर जीते हैं इसमें संगठन का सहयोग ना के बराबर दिखता है। कांग्रेस संगठन धराशाही हो चुकी है, उसकी गुटबाजी खुलकर सामने आई। इस पूरे चुनाव में एक दो बड़े नेता मुंह दिखाकर चले गए। कोई भी जिम्मेदार नेता ने खड़े होकर चुनाव नहीं करवाया, जिस पर प्रभार था वह बाहर था। इसी तरह महापौर प्रत्याशी को कांग्रेस संगठन ने अकेला छोड़ दिया था। पार्टी शायद पहले ही अपनी हार मान चुकी थी लेकिन उनकी प्रत्याशी आखिरी पल तक अपने लिए कार्य करती रही। मतगणना में भी कांग्रेस संगठन के कुछ ही चेहरे दिखे जो हमेशा कार्यालय में इस चुनाव में मोर्चा संभाले थे।